सिलसिला यह चाहत का, ना मैंने बुझने दिया - The Indic Lyrics Database

सिलसिला यह चाहत का, ना मैंने बुझने दिया

गीतकार - नुसरत बद्री | गायक - श्रेया घोषाल | संगीत - इस्माइल दरबार | फ़िल्म - देवदास | वर्ष - 2002

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मौसम ने ली अंगडाई, लहराके बरखा फिर छाई
झोंका हवा का आएगा और ये दिया बुझ जाएगा
सिलसिला ये चाहत का ना मैंने बुझने दिया
ओ पिया, ये दिया ना बुझा है, ना बुझेगा मेरी चाहत का दिया
मेरे पिया अब आजा रे मेरे पिया
इस दिये संग जल रहा मेरा रोम रोम रोम और जिया
फासला था दूरी थी, था जुदाई का आलम
इंतजार में नजरें थी और तुम वहाँ थे
झिलमिलाते जगमगाते खुशियों में झुमकर
और यहाँ जल रहें थे हम
फिर से बादल गरजा है, गरज गरज के बरसा है
घुम के तूफां आया है पर तुझ को बुझा नहीं पाया है
ओ पिया, ये दिया चाहे जितना सताए तुझे यह सावन
ये हवा और ये बिजलीयाँ
मेरे पिया अब आजा रे मेरे पिया
देखो ये पगली दिवानी, दुनिया से है ये अन्जानी
झोंका हवा का आएगा और इस का पिया संग लाएगा
सिलसिला ये चाहत का ना दिल से बुझने दिया