गीतकार - ईश्वर चंद्र कपूर | गायक - शमशाद, राम कमलानी | संगीत - गोबिंद राम | फ़िल्म - दूसरी शादी | वर्ष - 1947
View in Romanओ दुनिया बनाने वाले
ओ दुनिया बनाने वाले
क्या यही है दुनिया तेरी
इस दुनिया की भरी सभा में
लुट गई दुनिया मेरी
क्यूँ लुट गई दुनिया मेरी
ओ दुनिया बनाने वाले
क्या यही है दुनिया तेरी
ओ दुनिया बनाने वाले
क्या यही है दुनिया तेरी
दिल में दुख होँटों पर आहें
सर पर हैं घनघोर घटायें
ओ चाँद बनाने वाले
ए चाँद बनाने वाले
क्यूँ मेरी रात अन्धेरी
ओ दुनिया बनाने वाले
क्या यही है दुनिया तेरी
ओ दुनिया बनाने वाले
क्या यही है दुनिया तेरी
दुखियों के घर आता है तू
दुख की आग़ बुझाता है तू
ओ आग़ बुझाने वाले
क्यूँ जल गई नगरी मेरी
जल गई नगरी मेरी
क्यूँ जल गई नगरी मेरी
ओ दुनिया बनाने वाले
क्या यही है दुनिया तेरी
ओ दुनिया बनाने वाले
क्या यही है दुनिया तेरी