दर्पण को देखा तुने जब जब किया श्रृंगार - The Indic Lyrics Database

दर्पण को देखा तुने जब जब किया श्रृंगार

गीतकार - इन्दीवर | गायक - मुकेश | संगीत - कल्याणजी, आनंदजी | फ़िल्म - उपासना | वर्ष - 1971

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दपर्अण को देखा, तूने जब जब किया श्रृंगार
फूलों को देखा, तूने जब जब आई बहार
एक बदनसीब हूँ मैं (३)
मुझे नहीं देखा एक बारसूरज की पहली किरनों को, देखा तूने अलसाते हुए
रातों में तारों को देखा, सपनों में खो जाते हुए
यूँ किसी न किसी बहाने (२)
तूने देखा सब संसार (२)दपर्अण को देखा, तूने जब जब किया श्रृंगारकाजल की क़िस्मत क्या कहिये, नैनों में तूने बसाया है
आँचल की क़िस्मत क्या कहिये, तूने अंग लगाया है
हसरत ही रही मेरे दिल में (२)
बनूँ तेरे गले का हार (२)दपर्अण को देखा, तूने जब जब किया श्रृंगार