खोया खोया चांद, खुला आसमान - The Indic Lyrics Database

खोया खोया चांद, खुला आसमान

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - काला बाजार | वर्ष - 1960

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खोया खोया चाँद, खुला आसमां
आँखों में सारी रात जाएगी
तुमको भी कैसे नींद आएगी?
मस्ती भरी हवा जो चली
खिल खिल गई ये दिल की कली
मन की गली में है खलबली कि उनको तो बुलाओ
तारे चले, नज़ारे चले, संग संग मेरे वो सारे चले
चारों तरफ इशारे चले, किसीके तो हो जाओ
ऐसी ही रात, भीगी सी रात, हाथों में हाथ होते वो साथ
कह लेते उनसे दिल की ये बात, अब तो ना सताओ
हम मिट चले है जिनके लिए
बिन कुछ कहे वो चुप चुप रहें
कोई ज़रा ये उनसे कहे, ना ऐसे आज़माओ