खिलते हैं गुल यहाँ, खिलके बिखर ने को - The Indic Lyrics Database

खिलते हैं गुल यहाँ, खिलके बिखर ने को

गीतकार - नीरज | गायक - किशोर कुमार | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - शर्मीली | वर्ष - 1971

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खिलते हैं गुल यहाँ, खिलके बिखरने को
मिलते हैं दिल यहाँ, मिलके बिछडने को
कल रहे ना रहे, मौसम ये प्यार का
कल रुके ना रुके, डोला बहार का
चार पल मिले जो आज प्यार में गुजार दे
झीलों के होठोंपर मेघों का राग है
फूलों के सीने में ठंडी ठंडी आग है
दिल के आईने में ये तू समा उतार ले
प्यासा है दिल सनम प्यासी ये रात है
होठों में दबी दबी कोई मीठी बात है
इन लम्हों पे आज तू हर खुशी निसार दे