ये फ़ासला जो पड़ा है मेरे गुमान में ना था - The Indic Lyrics Database

ये फ़ासला जो पड़ा है मेरे गुमान में ना था

गीतकार - अहमद फ़राज़ी | गायक - गुलाम अली | संगीत - रफीक हुसैन | फ़िल्म - सादगी (गैर-फिल्म) | वर्ष - 1997

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ये फ़ासला जो पड़ा है मेरे ग़ुमाँ में न था
के अबकी बार ज़माना भी दर्मियाँ में न थाकोई भी नज़्म-ए-चमन हो ये हमने देखा है
सहर का नग़्मा-सरा शाम-ए-आशियाँ में न थाके जिसके हाथ में पत्थर कमाँ में तीर न हो
कोई भी ऐसा मेरे शहर-ए-मेहबरबाँ में न थादुआएं मैंने ही माँगी थीं रुत बदलने की
'फ़राज़' मेरा नशेमन ही गुलसिताँ में न था