इंसान क्या जो ठोकरेन नसीब की ना साह साके - The Indic Lyrics Database

इंसान क्या जो ठोकरेन नसीब की ना साह साके

गीतकार - नरेंद्र शर्मा | गायक - अनिल बिस्वास, पारुल घोष | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - हमारी बात | वर्ष - 1943

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पा: इन्सान क्या
इन्सान क्या जो ठोकरें नसीब की न सह सके
इन्सान क्याइन्सान क्या
इन्सान क्या जो गर्दिशों के बीच ख़ुश न रह सके -२इन्सान क्या
इन्सान क्या जो ठोकरें नसीब की न सह सके
इन्सान क्याअनि: ( मैं किश्ती क्यूँ न छोड़ दूँ बलाओं के मुक़ाबिले
तुफ़ानों के मुक़ाबिले )-२
वो किश्ती क्या
वो किश्ती क्या जो आँधियों के साये में न रह सके -२इन्सान क्या
दोनों: इन्सान क्या जो ठोकरें नसीब की न सह सके
इन्सान क्या(पा: बच बच के चलने वाले की है ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी
दोनों: है ज़िन्दगी क्या ज़िन्दगी ) -२
पा: दरिया-ए-ज़िन्दगी में जो न मौज बन के बह सके -२
दोनों: न मौज बन के बह सके -४
दरिया-ए-ज़िन्दगी में जो न मौज बन के बह सके -२इन्सान क्या
इन्सान क्या जो ठोकरें नसीब की न सह सके
इन्सान क्या