तुम अरबों का हेर फेर करने वाले - The Indic Lyrics Database

तुम अरबों का हेर फेर करने वाले

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - रफ़ी, लता | संगीत - शंकर-जयकिशन | फ़िल्म - चोरी चोरी | वर्ष - 1956

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तुम अरबों का हेर फेर करने वाले राम जी
सवा लाख की लाटरी भेजो अपने भी नाम जी
पैसे पैसे को जवानी मेरी तरसे
सोते सोते उठ जाऊँ बिस्तर से
कब जायेगी गरीबी मेरे घर से
तुम अरबों का ...
कैसी प्यारी है ख़बर अख़बारों में
लक्ष्मी देवी होगी अपनी इशारों में
होगा बंगला हमारा भी सितारों में
तुम अरबों का ...
ऐसी कड़की में ये बोझा दो जनों का
आधा-आधा हुआ थोड़े से चनों का
कभी आया न वो दिन सपनों का
तुम अरबों का $