बचपन की याद धीरे धीरे प्यार बन गयी - The Indic Lyrics Database

बचपन की याद धीरे धीरे प्यार बन गयी

गीतकार - कमर जलालाबादी | गायक - ललिता देवूलकर | संगीत - गुलाम हैदर | फ़िल्म - शहीद | वर्ष - 1948

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बदरा की छाँव तरे नन्हींनन्हीं बून्दियाँ

सु : बदरा की छाँव तरे नन्हींनन्हीं बून्दियाँ

हिलमिल बैठें दोनों यहीं मन भाये रे

आई बहार बलमा मन नाहीं माने

तुझ बिन सइयाँ मोहे सूना जग लागे

बदरा की छाँव तरे नन्हींनन्हीं बून्दियाँ

हिलमिल बैठें दोनों यहीं मन भाये रे

मु : हिलमिल बैठें दोनों कोई न पास हो

हिलमिल बैठें दोनों कोई न पास हो

दिन करे राम ऐसा आई बहार हो

सु : इतउत ढूँढूँ बालम बदरा की छँव रे

जिया नहीं लागे मोरा तुम किस ठाँव रे

बदरा की छाँव तरे नन्हींनन्हीं बून्दियाँ

हिलमिल बैठें दोनों यहीं मन भाये रे

मु : मन में उमंग मोरे आँखों में प्यार जी

मन में उमंग मोरे आँखों में प्यार जी

होंठों से निकले नाम तेरा हर बार जी

सु : बदरा की छाँव तरे नन्हींनन्हीं बून्दियाँ

हिलमिल बैठें दोनों यहीं मन भाये रे

दो : प्यार के सपने सदा सुहाने

प्यार करे वो न अपनेबेगाने

मेरी आँखों में सूरत तुम्हारी

राम करे न जाये बिसारी

बदरा की छाँव तरे नन्हींनन्हीं बून्दियाँ

हिलमिल बैठें दोनों यहीं मन भाये रे