आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंज़र क्यों है - The Indic Lyrics Database

आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंज़र क्यों है

गीतकार - सुदर्शन फाकीरी | गायक - जगजीत सिंह | संगीत - जगजीत सिंह | फ़िल्म - Nil | वर्ष - Nil

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आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंज़र क्यों है
ज़ख़्म हर सर पे हर एक हाथ में पत्थर क्यों है
जब हक़ीक़त है के हर जर्रे में तू रहता है
फिर ज़मीं पे कहीं मस्जिद कहीं मंदिर क्यों है
अपना अंजाम तो मालूम है सबको फिर भी
अपनी नजरों में हर इन्सान सिकंदर क्यों है
ज़िन्दगी जीने के क़ाबिल ही नहीं अब फ़ाकिर
वर्ना हर आँख में अश्कों का समंदर क्यों है