स्वप्न सुनहरे - The Indic Lyrics Database

स्वप्न सुनहरे

गीतकार - | गायक - | संगीत - | फ़िल्म - | वर्ष - 2015

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स्वप्न सुनेहेरे घाव गहरे
हर धारा में
लेके चली जीवन नीर
पर्बत रोके चीरे घाटी
 

धार समय की रोक न पाती
कल कल यह अविरल यह
बहती जाती प्राण नदी जीव नदी.