जल रहीं हैं - The Indic Lyrics Database

जल रहीं हैं

गीतकार - | गायक - | संगीत - | फ़िल्म - | वर्ष - 2015

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जल रहीं है चिटा
साँसों में है धुँआ
फिर भी आस मन्न में है जगी
भोर होगी क्या कभी यहाँ
पूछती यही ये बेड़िया
देख तोह कौन है यह

महिष्मती साम्राज्यं
सर्वोत्तम अजेयम
देशो दिशायें आके आज
सब इसको करते प्रणाम

खुश-हाली वैभवशाली
समृद्धिया निराली
धन्य धन्य है यहाँ प्रजा
शक्ति का यह स्वर्ग था
घन गरज जो कीर्ति की यहाँ
शीश तोह यहाँ झुका ज़रा
यशश्विनी है यह धरा

माहिष्मती की पताका सदा यूँही
गगन चूमे..
अश्वादेव और सूर्य देव मिलके
स्वर्ग सिंहासन विराजे..