मेरे सुख दुख का सँसार तेरे दो नैनन में - The Indic Lyrics Database

मेरे सुख दुख का सँसार तेरे दो नैनन में

गीतकार - मजरूह | गायक - किशोर | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - फरेब | वर्ष - 1953

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मेरे
सुख दुख का सँसार तेरे दो नैनन में
मेरे
सुख दुख का सँसार तेरे दो नैनन में
इक़रार कभी इन्कार
इक़रार कभी इन्कार तेरे दो नैनन में
दो नैनन में सुख दुख का सँसार
मेरे सुख दुख का सँसार तेरे दो नैनन में
कोइ सीखे इनसे सितम ढाना
हो सितम ढाना
कोइ सीखे
कोइ सीखे इनसे सितम ढाना
झुक झुक के कुछ कुछ फ़रमाना
फिर उठकर साफ़ मुकर जाना
झुक झुक के
झुक झुक के कुछ कुछ फ़रमाना
फिर उठकर साफ़ मुकर जाना
कभी प्यार
कभी प्यार कभी तकरार तेरे दो नैनन में
दो नैनन में सुख दुख का सँसार
मेरे सुख दुख का सँसार तेरे दो नैनन में
यही दोस्त यही दुशमन जैसे
हो दुशमन जैसे
यही दोस्त
यही दोस्त यही दुशमन जैसे
पल में काँटे की चुभन जैसे
पल में खिल जाये चमन जैसे
पल में
पल में काँटे की चुभन जैसे
पल में खिल जाये चमन जैसे
कभी ख़ार्(??) कभी गुलज़ार तेरे दो नैनन मे
दो नैनन में सुख दुख का सँसार
तेरे दो नैनन में
मेरे
सुख दुख का सँसार तेरे दो नैनन में