मुहब्बत में कभी ऐसी भी हालत पाई जाती है - The Indic Lyrics Database

मुहब्बत में कभी ऐसी भी हालत पाई जाती है

गीतकार - डी एन मधोकी | गायक - सहगल | संगीत - खुर्शीद अनवारी | फ़िल्म - परवाना | वर्ष - 1947

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हो हो मुझे मधुर लगता है उनसे

हो

न : हो

मुझे मधुर लगता है उनसे

अ : अपना

प्यार छुपाना

हाँ प्यार छुपाना

भीतरभीतर हाँ कहूँ मैं

न : ओ

अ : भीतरभीतर हाँ कहूँ मैं

न : बाहर बोलूँ नाना

दो : मुझे मधुर लगता है उनसे

अपना प्यार छुपाना

हाँ प्यार छुपाना

न : कितनी प्यारी थी

अ : कितनी थी बोली

न : उनकी मेरी वो

अ : आँखमिचोली

न : मन के अन्दर मैं कहती थी

अ : आजा

न : आजा हो मोरे राजा

आजा हो मोरे राजा आजा

अ : आँखों से कहती थी ना आना ना आना

न : मैं तो करती थी बहाना

दो : मुझे मधुर लगता है उनसे

अपना प्यार छुपाना

हाँ प्यार छुपाना

न : इक इशारे में जो छलके

प्रेम नहीं है वो गहरा

अ : उन आँखों की क़ीमत ही क्या

जिनपे नहीं शरम का पहरा

न : ओ

मेरी दुनिया अलग है सभी से रे

मेरी दुनिया अलग है सभी से

हां हाँ हाँ मेरी अदा निराली

हां हाँ

अ : ओ हो हो मेरी अदा निराली

न : मैं तो छुपछुप के प्यार करूँ

हाँ हाँ प्यार करूँ

हो मेरी प्रीत है

हाँ मेरी प्रीत है

प्रीत है

अ : घूँघट वाली

हाँ हाँ घूँघट वाली

दो : आ हा हा हा हा आ

प्रीत है घूँघट वाली

घूँघट वाली

प्रीत है घूँघट वाली

अ : आ हा हा हा हा

न : आ हा हा हा हा

अ : ओ हो हो हो हो

अ : आ हा हा हा हा

अ : आ हा हा हा हा

दो : आ हा हा हा हा