बड़ी बेफ़वा है उड़ती हवा है - The Indic Lyrics Database

बड़ी बेफ़वा है उड़ती हवा है

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - लता, सहगान | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - तीरंदाज़ | वर्ष - 1955

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बड़ी बेफ़वा है उड़ती हवा है
बड़ी बेफ़वा है उड़ती हवा है
ये ज़िंदगी साक़िआ
को: आ आ आ
ल: वो दुनिया कहां है मिलती जहां है
दिल की ख़ुशी साक़िआ
दिल की ख़ुशी साक़िआ
को: आ आ आ

ल: देखा है हम ने दिन रात पी के
निकले न फिर भी अर्मान जी के
झूटी है साक़ी मै की ये मस्ती
रोशन हो कैसे फिर दिल की बस्ती
को: झूटी है साक़ी मै की ये मस्ती
रोशन हो कैसे फिर दिल की बस्ती
यहां न वहां है जाने कहां है
वो रोशनी साक़िआ
वो रोशनी सक़िआ
को: आ आ आ
बड़ी बेवफ़ा है ….

ल: शीशे में जो है वो तो है नक़ली
कहां पे छुपा के रखी है असली
आँखों से अपनी इक जाम दे दे
बेताब दिल को आराम दे दे
को: आँखों से अपनी इक जाम दे दे
बेताब दिल को आराम दे दे
ल: तड़पा रही है रह रह के दिल की
ये बेकली साक़िआ
ये बेकली साक़िआ
को: आ आ आ $