जीवन के हर मोद पे मिल जाएंगे हमसफर - The Indic Lyrics Database

जीवन के हर मोद पे मिल जाएंगे हमसफर

गीतकार - गुलशन बावरा | गायक - आशा भोंसले, किशोर कुमार | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - झूठा कहीं का | वर्ष - 1979

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कि: जीवन के हर मोड़ पे मिल जाएंगे हमसफ़र
जो दूर तक साथ दे ढूंढे उसी को नज़र -२
तु वो ही है जिसको ढूंढे कब से मेरी दो निगाहें
चलते चलते मिल जाएंगी तेरे मेरे दिल की राहें
इतने बडे इस जहां में बसाएंगे हम अपना छोटा सा घर
जीवन के हर मोड़ पे...आ: ला ला ला ला ला ला ला -४
जीवन के हर मोड़ पे...आ: तन के पीछे कोई भागे कोई तन का है शिकारी
हो मन से मन का जोड़ना तो वो ही सच्चा है पुजारी
कोरस: (पर प पर प पर प
पर प प प प प प प)-३
आ: सारे शिकारी यहां पर भी हैं
इन पर यकीं अब न कर
जीवन के हर मोड़ पे...कि: वो लाखों में एक है यारो, जिस को दिल से मैंने चाहा
आ: हो मैंने थामा तेरा दामन मैंने तेरा प्यार सराहा
कोरस: (पर प पर प पर प
पर प प प प प प प)-३
आ:हो अब एक ही रास्ते पे चलेंगे हम
कि: है इक हमारी डगर
जीवन के हर मोड़ पे
आ:पर प पर प पर प
कि: मिल जाएंगे हमसफ़र
आ:पर प पर प पर प
कि: जो दूर तक साथ दे
आ:आऽऽ.
कि: ढूंढे उसी को नज़र
आ:आऽऽऽ
जीवन के हर मोड़ पे मिल जाएंगे हमसफ़र
जो दूर तक साथ दे ढूंढे उसी को नज़र(कोरस: ल ल ल ल ल ल ल
आ: पर प पर प पर प) -२
कोरस: (ल ल ल ल ल ल ल) -२
आ: आऽऽऽऽऽ