गरीब जान के हम को न तुम दग़ा देना - The Indic Lyrics Database

गरीब जान के हम को न तुम दग़ा देना

गीतकार - जान निसार अख्तर | गायक - रफी | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - छू मंतर | वर्ष - 1956

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गरीब जान के हम को न तुम दग़ा देना
तुम्हीं ने दर्द दिया है तुम्हीं दवा देना
गरीब जान के.

लगी है चोट कलेजे पे उम्र भर के लिये
तड़प रहे हैं मुहब्बत में इक नज़र के लिये
नज़र मिलाके मुहब्बत से मुस्करा देना
तुम्हीं ने दर्द दिया है तुम्हीं दवा देना
गरीब जान के.

जहाँ में और हमारा कहाँ ठिकाना है
तुम्हारे दर से कहाँ उठ के हमको जाना है
जो हो सके तो मुक़द्दर मेरा जगा देना
तुम्हीं ने दर्द दिया है तुम्हीं दवा देना
गरीब जान के.

मिला क़रार न दिल को किसी बहाने से
तुम्हारी आस लगाये हैं इक ज़माने से
कभी तो अपनी मोहब्बत का आसरा देना
तुम्हीं ने दर्द दिया है तुम्हीं दवा देना
गरीब जान के.

गीता: नज़र तुम्हारी मेरे दिल की बात कहती है
तुम्हारी याद तो दिन रात साथ रहती है
तुम्हारी याद को मुश्किल है अब भुला देना
तुम्हीं ने दर्द दिया है तुम्हीं दवा देना
गरीब जान के.

मिलेगा क्या जो ये दुनिया हमें सतायेगी
तुम्हारे बिन तो हमें मौत भी न आयेगी
किसी के प्यार को आसाँ नहीं मिटा देना
तुम्हीं ने दर्द दिया है तुम्हीं दवा देना
गरीब जान के.$