जंगल मन है बोले कोयल कू कू कहीं आग लगे लग जावे - The Indic Lyrics Database

जंगल मन है बोले कोयल कू कू कहीं आग लगे लग जावे

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - आशा भोंसले, ऋचा शर्मा, आदित्य नारायण | संगीत - ए आर रहमान | फ़िल्म - ताल | वर्ष - 1999

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जा आ आ ना ना ना
पीर सहा नहीं जायेजंगल में है बोले कोयल कु कु कू कु कु कू
कु कु कूकहीं आग लगे लग जावेकोई नाग दँसे दँस जावेकभी गगन गिरे गिर जावेचाहें कुछ भी हो जायेइस टूटे दिल की पीड़ सही ना जायेआवो सैयाँ आवो सैयाँ
आओ सैयाँ आओ सैयाँ आओ सैयाँ
है है हौं है है हौं है है है है हौं है है हौंजाये जाँ ना जाये जियाजाये जिया ना जाये जियाहर वक़्त गुज़र जाता हैपर दर्द ठहर जाता हैसब भूल भी जाये कोई कुछ याद मगर आता हैजिस पेड़ को बेल ये लिपटेवो सूखे टूटे सिमटेफूलों के बाग का वादापर काँटे पले जियादाना दवा लगे ना दुआ लगे ये प्रेम रोग है हु हु हूप्यार बड़ा हरजाई हैपर प्यार बिना तनहाई हैदिल मत देना कहते हैंसब दिल देते रहते हैंजब नींद चुरा लेते हैंरतजगे मज़ा देते हैंख़ुशियाँ इसी के गम सेरौनक इसी के दम सेकोई वचन नहीं चलता हैकोई जतन नहीं चलता हैना हो ये रोग तो सारे लोग ले लेवें जोग हो हु हु हूइस सूनें दिल कि पीड़ सही ना जाये