सांझ भय घर आया पंची - The Indic Lyrics Database

सांझ भय घर आया पंची

गीतकार - पं. मधुर | गायक - शाम कुमार | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - सन्यासी | वर्ष - 1945

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सांझ भये घर आया पंछी
भोर भये उड़ जाना है
जिस डाली पर किया बसेरा
उसको भी मुरझना हैचुप्ता के बिप्ता आती है
चोट चोट पे लगती है
तू ने जो कुछ उलझाया है
तुझ को ही सुलझाना हैबह्री दुनिया के कानों में
तू अपना राग सुनाए जा
टूटे तारों की बीना से
तुझ को जी बहलाना हैहिम्मत को मत हार बढ़े जा
आंधी और तूफ़ानों में
तुझ को अपनी मन्ज़िल पर ही
अपना देश बसाना है