आह को चाहिये एक उम्र असर होने तक कौन जीता है तेरी - The Indic Lyrics Database

आह को चाहिये एक उम्र असर होने तक कौन जीता है तेरी

गीतकार - मिर्जा गालिब | गायक - सहगल | संगीत - ना | फ़िल्म - (गैर फिल्म) | वर्ष - 1948

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आई दिवाली दीपों वाली गायें सखियाँ

गायें सखियाँ

को: आई दिवाली दीपों वाली गायें सखियाँ

गायें सखियाँ

कु: ओ परदेसी मेरी

ओ परदेसी मेरी नीर भरी अखियाँ

नीर भरी अखियाँ

को: आई दिवाली दीपों वाली गायें सखियाँ

गायें सखियाँ

कु: ओ परदेसी मेरी

ओ परदेसी मेरी नीर भरी अखियाँ

नीर भरी अखियाँ

कु: सारे देश में है अंधियारा

मेरे घर में है उजियारा

तुमने जबसे ? किनारा

मेरा कौन है सहारा

कोई ना माने, और ना जाने मन की बतियाँ

नीर भरी अखियाँ

को: आई दिवाली दीपों वालि गायें सखियाँ

गायें सखियाँ

कु: ओ परदेसी मेरी

ओ परदेसी मेरी नीर भरी अखियाँ

नीर भरी अखियाँ

कु: बचपन की जब याद सताये

जवानी रो रो नीर बहाये

उसी नीर को तेल समझके मन का दीप जलाये

दुखिया मन का दीप जलाये

इसी बहाने से ना जायें काली रतियाँ

नीर भरी अखियाँ

को: आई दिवालि दीपों वाली गायें सखियाँ

गायें सखियाँ

कु: ओ पर्देसी मेरी

ओ पर्देसी मेरी नीर भरी अखियाँ

नीर भरी अखियाँ