गा रह हुन इस महफिल में आपकी मोहब्बत है - The Indic Lyrics Database

गा रह हुन इस महफिल में आपकी मोहब्बत है

गीतकार - अनवर सागर | गायक - कुमार सानू | संगीत - नदीम, श्रवण | फ़िल्म - दिल का क्या कसूर | वर्ष - 1992

View in Roman

गा रहा हूँ इस महफ़िल में आपकी मोहब्बत है
आज हूँ मैं जो कुछ भी वो आपकी इनायत है
ज़िन्दगी से कैसा शिक़वा खुद से ही शिकायत है
आज हूँ मैं जो कुछ ...प्यार की वो सौगातें किस तरह भुला दूँ मैं
आपका हर एक आँसू पलकों पे उठा लूँ मैं
आपके ही दम से तो ये आज मेरी शोहरत है
आज हूँ जो कुछ भी ...कितने रंग हैं जीवन के ये अजब कहानी है
कुछ मिले तो कुछ खो जाए रीत ये पुरानी है
किसको क्या मिला यहाँ सब अपनी अपनी क़िस्मत है
आज हूँ जो कुछ भी ...काश फिर कोई नग़मा इस फ़िज़ा में लहराए
दूर से सही लेकिन आपकी सदा आए
मेरे दिल की हर धड़कन अब आपकी अमानत है
आज हूँ जो कुछ भी ...