जुल्फ बिखरती चलिए आई हो - The Indic Lyrics Database

जुल्फ बिखरती चलिए आई हो

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - एक कली मुस्कायी | वर्ष - 1968

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ज़ुल्फ़ बिखराती चली आई हो
ऐ जी सोचो तो ज़रा बदली का क्या होगाआँख शराबी तेरी उसमें गुलाबी डोरे
शर्म के मारे दहके गाल ये गोरे-गोरे
आग भड़काती चली आई हो
ऐ जी सोचो तो ज़रा शोलों का क्या होगा
ज़ुल्फ़ बिखराती ...ले बैठी हैं हमको ये अनजान अदाएँ
छोड़ के दर को तेरे बोल कहाँ हम जाएँ
जाल फैलाती चली आई हो
ऐ जी सोचो तो ज़रा पंछी का क्या होगा
ज़ुल्फ़ बिखराती ...