मुखड़े पे तेरे बिजली - The Indic Lyrics Database

मुखड़े पे तेरे बिजली

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - मोहॅमेड रफ़ी | संगीत - चित्रगुप्त श्रीवास्तव | फ़िल्म - आधी रात के बाद | वर्ष - 1965

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मुखड़े पे तेरे बिजली की चमक
जुल्फों की घटा लहराती है
चल ठाम के जरा
चल ठाम के जरा
ए शोला बदन
मेरी जान निकलती जाती है
चल ठाम के जरा

हर जलवा तेरा है कातिल
हर एक ऐडा दिल लूट
हर जलवा तेरा है कातिल
हर एक ऐडा दिल लूट
है चाल में तेरे जैसे
एक तीर शामा से फूटी
जब चाती हो तुम
जब चाती हो तुम
कहते है सभी
हट जाओ क़यामत आती है
मुखड़े पे तेरे बिजली की चमक
जुल्फों की घटा लहराती है
चल ठाम के जरा

नागिन की तरह बल खाती
डालो न इधर तुम फेरे
नागिन की तरह बल खाती
डालो न इधर तुम फेरे
है आस लगाए बैठे
हम जैसे तो लहक सपेरे
कितना भी जहर
कितना भी जहर
नागिन में रहे
जब बीन बजे फास जाती है
मुखड़े पे तेरे बिजली की चमक
जुल्फों की घटा लहराती है
चल ठाम के जरा

दिल चीज़ है खोने वाली
इसको इतना न सम्भालो
दिल चीज़ है खोने वाली
इसको इतना न सम्भालो
आँखों में बसा लूँगा मै
ये दिल जो मुझे दे डालो
नादाँ हो तुम
नादाँ हो तुम नदनो से
हर चीज़ कही खो जाती है
मुखड़े पे तेरे बिजली की चमक
जुल्फों की घटा लहराती है
चल ठाम के जरा
ए शोला बदन
मेरी जान निकलती जाती है
चल ठाम के जरा.