आंचल से क्यों बंध लिया मुझ परदेसी का प्यार - The Indic Lyrics Database

आंचल से क्यों बंध लिया मुझ परदेसी का प्यार

गीतकार - | गायक - हेमंत कुमार | संगीत - हेमंत कुमार | फ़िल्म - अविस्मरणीय हेमंत कुमार (गैर फिल्म) | वर्ष - 1940s

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आँचल से क्यों बाँध लिया मुझ परदेसी का प्यार
जानेवाले से रुकने की आशा है बेकार
आँचल से क्यों ...कल सुबह होने से पहले करुंगा जाने की तैयारी
फिर सारा दिन ढल जायेगा और आयेगी शाम अंधियारी
खड़ी खड़ी तुम राह तकोगी रख के कमर पर हाथ आ हा
आँचल से क्यों ...यूँ ही रात भी आ जायेगी लेकिन मैं नहीं आऊँगा
दूर खड़ा मंज़िल पे कहीं मैं थक कर जब सो जाऊँगामेरी कमी महसूस करोगे रोवोगे अफ़सोस करोगे
बोलो फिर क्या निर्दयी कह कर बंध खुले द्वार
आँचल से क्यों ...