हो सर पे मुकुट सजे राम जी की निकाली सवारी - The Indic Lyrics Database

हो सर पे मुकुट सजे राम जी की निकाली सवारी

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - सरगम | वर्ष - 1979

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हो सर पे मुकुट सजे मुख पे उजाला हाथ में धनुष गले में पुष्प माला
हम दास इनके ये स्वामी सबके अन्जान हम ये अन्तरयामी
शीश झुकाओ राम-गुन गाओ बोलो जय विष्णु के अवतारीराम जी की निकली सवारी राम जी की लीला है न्यारी
को : राम जी की निकली ...
एक तरफ़ लक्ष्मण एक तरफ़ सीता बीच में जगत के पालनहारी
को : राम जी की निकली ...धीरे चला रथ ओ रथ वाले
तोहे ख़बर क्या ओ भोले-भाले
को : तोहे ख़बर क्या ओ भोले-भाले
इक बार देखो जी ना भरेगा
सौ बार देखो फिर जी करेगा
व्याकुल पड़े हैं कबसे खड़े हैं
को : व्याकुल पड़े हैं कबसे खड़े हैं
दर्शन के प्यासे सब नर-नारी
राम जी की निकली ...
को : राम जी की निकली ...चौदह बरस का वनवास पाया
माता-पिता का वचन निभाया
को : माता-पिता का वचन निभाया
धोखे से हर ली रावण ने सीता
रावण को मारा लंका को जीता
को : रावण को मारा लंका को जीता
तब-तब ये आए -२
को : तब-तब ये आए -२
जब-जब दुनिया इनको पुकारी
राम जी की निकली ...
एक तरफ़ लक्ष्मण ...
को : राम जी की निकली ...