कै बार यूं हि देखा हैं - The Indic Lyrics Database

कै बार यूं हि देखा हैं

गीतकार - योगेश | गायक - मुकेश | संगीत - सलिल चौधरी | फ़िल्म - रजनीगन्धा | वर्ष - 1974

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कई बार यूं ही देखा है
ये जो मन की सीमा रेखा है
मन तोड़ने लगता है
अन्जानी प्यास के पीछे
अन्जानी आस के पीछे
मन दौड़ने लगता हैराहों में, राहों में, जीवन की राहों में
जो खिले हैं फूल फूल मुस्कुराके
कौन सा फूल चुराके, रख लूं मन में सजाके
कई बार यूं ही देखा है ...जानूँ न, जानूँ न, उलझन ये जानूँ न
सुलझाऊं कैसे कुछ समझ न पऊँ
किसको मीत बनाऊँ, किसकी प्रीत भुलाऊँ
कई बार यूं ही देखा है ...