एक तुम, दूजी मैं, तीजा चाँद, चौथी ठण्डी हवा - The Indic Lyrics Database

एक तुम, दूजी मैं, तीजा चाँद, चौथी ठण्डी हवा

गीतकार - हसरत | गायक - गीता दत्त, सहगान | संगीत - खुर्शीद अनवर | | फ़िल्म - नीलमपरि | वर्ष - 1952

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एक तुम, दूजी मैं, तीजा चाँद, चौथी ठण्डी हवा
राजा चारों हों जो साथ आये बड़ा मज़ा

को एक तुम, दूजी मैं, तीजा चाँद, चौथी ठण्डी हवा
राजा चारों हों जो साथ आये बड़ा मज़ा

गी: रात सँवर गई, मस्ती बिखर गई
तारों की चमक मेरे दिल में उतर गई
दिल मेरा डोलूँ, किसे-किसे बोलूँ,
ओ मेरे भोले, रुत भी निखर गई
इस रुत की कहानी, मेरे दिल की ज़बानी, तुम गाओ
राजा मानो दिल की बात आये बड़ा मज़ा

को एक तुम, दूजी मैं, तीजा चाँद, चौथी ठण्डी हवा
राजा चारों हों जो साथ आये बड़ा मज़ा

गी: मात न खायेगा, अपना बनायेगा
सबको हरा के मेरे नैनों का जादू
आँख मिला ले, सामने आ के
दाँव लगा ले, बढ़ के ज़रा तू
इस शाम की बाज़ी, मैन्ंए आज लगा दी, रसिया
आ के दे दो दिल को मात आये बड़ा मज़ा

को एक तुम, दूजी मैं, तीजा चाँद, चौथी ठण्डी हवा
राजा चारों हों जो साथ आये बड़ा मज़ा$