गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - आशा भोसले | संगीत - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल | फ़िल्म - आधा दिन आधी रात | वर्ष - 1977
View in Romanा काहे को बियाही बिदेश
काहे को बियाही बिदेश रे बाबुल
काहे को बियाही बिदेश
ऐसी न थी मेरे मायके गालिया
ऐसी न थी
ऐसी न थी मेरे मायके गालिया
जैसा पिया जी का देश
रे बाबुल काहे को बियाही बिदेश
काहे को बियाही बिदेश रे बाबुल
काहे को बियाही बिदेश
पढ़ गए कोमल पैरो में छाले
पढ़ गए कोमल पैरो में छाले
लग गए होंठो पे चुप के टेल
लाखजो अनजाने वाले एक के हाथ
भेजा न मेरे भैया ने सन्देश
रे बाबुल काहे को बियाही बिदेश
काहे को बियाही बिदेश रे बाबुल
काहे को बियाही बिदेश
लिख लिख पहाडी कितनी पत्तिया
लिख लिख पहाडी कितनी पत्तिया
लिख न पाउ जीति बतिया
छोटे दिन और लम्बी रतिया
याद करू सरे महले दो महले
लगी पिअय के देश रे बाबुल
बाबुल काहे को बियाही बिदेश
काहे को बियाही बिदेश रे बाबुल
काहे को बियाही बिदेश
जीवन सपना निकला जूठा
ो जीवन सपना निकला जूठा
मेरा मन मुझसे भी रूठा
मुख गयी सं में दर्पण टुटा
अपना आप न पहचानू
बदला जी मैंने ऐसा भेष रे बाबुल
काहे को बियाही बिदेश
काहे को बियाही बिदेश
रे बाबुल काहे को बियाही बिदेश.