दिल से दिल टकराये प्रेम विवाह कर लाये - The Indic Lyrics Database

दिल से दिल टकराये प्रेम विवाह कर लाये

गीतकार - शैलेंद्र सिंह | गायक - गीता दत्त, मोहम्मद रफ़ी, सहगान | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - प्रेम विवाह | वर्ष - 1959

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गी: दिल से दिल टकराये फिर दोनों घबराये
सब्र की डोरी टूट गई तो
love marriageकर लाये -२
र: दिल से दिल टकराये फिर दोनों घबराये
सब्र की डोरी टूट गई तो
love marriageकर लाये -२
को: दिल से दिल टकराये फिर दोनों घबराये
सब्र की डोरी टूट गई तो
love marriageकर लाये -२गी: वो उत्तर के पंछी थे और वो दक्खिन की मैना
को: ल ल
गी: वो उत्तर के पंछी थे और वो दक्खिन की मैना
एक रोज़ एक बाग़ में यूँ ही लड़ गये नैना -२
र: दिल दे के घर आये घर आ कर पच्छताये
सब्र की डोरी टूट गई तो
love marriageकर लाये -२
को: दिल से दिल टकराये फिर दोनों घबराये
सब्र की डोरी टूट गई तो
love marriageकर लाये -२र: कब तक पर लेट कर करते तारों से बातें
को: ल ल
र: कब तक पर लेट कर करते तारों से बातें
नींद चली गई रूठ के कैसे कटतीं रातें -२
गी: अपनों से शरमाये ग़ैरों से कतराये
सब्र की डोरी टूट गई तो
love marriageकर लाये -२
को: ( दिल से दिल टकराये फिर दोनों घबराये
सब्र की डोरी टूट गई तो
love marriageकर लाये -२ ) -२