लगते तो हो तुम अजनबी पर अजनबी तुम लगते नहीं - The Indic Lyrics Database

लगते तो हो तुम अजनबी पर अजनबी तुम लगते नहीं

गीतकार - जय वर्मा | गायक - सुनिधि चौहान, बाबुल सुप्रियो | संगीत - डब्बू मलिक | फ़िल्म - मैं - एक भारतीय होने पर गर्व है | वर्ष - 2003

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बा : हूँ हूँ
हे हे हे आ हा हा
सु : आ आ आ आ आ आ आबा : ( लगते तो हो तुम अजनबी
पर अजनबी तुम लगते नहीं ) -२
जाने कैसा ये एहसास है
जब से नज़रों के तू पास है
तू पास हैसु : लगते तो हो तुम अजनबी
पर अजनबी तुम लगते नहीं
जाने कैसा ये एहसास है
जब से नज़रों के तू पास है
तू पास हैबा : ( हूँ हूँ हूँ हूँ
दो : हो हो हो ) -२सु : अंजान हो तुम अंजान हैं हम
अंजान हैं ये राहें
फिर भी लगे क्यों ढूँढ रही थीं
कब से तुझे ये निग़ाहें
बा : अंजान हो तुम अंजान हैं हम
अंजान हैं ये राहें
फिर भी लगे क्यों ढूँढ रही थीं
कब से तुझे ये निग़ाहेंतुम हो हक़ीक़त या हो ख़याल
दिल ने मेरे किया है सवाल
जाने कैसा ये एहसास है
जब से नज़रों के तू पास है
तू पास हैसु : लगते तो हो तुम अजनबी
पर अजनबी तुम लगते नहींबा : हो
( तू है कहाँ से किस आसमाँ से
संग क्यों चलने लगी है
सु : क्यों तक़दीरें धुंधली लक़ीरें
रंग बदलने लगी हैं ) -२बा : दिल की लगी है या दिल्लगी
क्या ये तड़प है या दीवानगी
जाने कैसा ये एहसास है
जब से नज़रों के तू पास है
तू पास हैसु : लगते तो हो तुम अजनबी
पर अजनबी तुम लगते नहीं
जाने कैसा ये एहसास है
जब से नज़रों के तू पास है
तू पास हैबा : हूँ हूँ हूँ हूँ -२