ज़िंदगी ज़िंदगी - The Indic Lyrics Database

ज़िंदगी ज़िंदगी

गीतकार - समीर | गायक - अलका याज्ञिक, कुमार सानू | संगीत - हिमेश रेशमिया | फ़िल्म - आबरा का डाबरा | वर्ष - 2004

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कल की कल सोचेंगे आज को जी ले आज
जीना उसी का जीना है जिसने जाना ये राज़
ज़िन्दगी ज़िन्दगी लगती है साथ तेरे
आरजू आरजू लगती है साथ तेरे
हो ज़िन्दगी ज़िन्दगी लगती है साथ तेरे
हो साथिया साथिया साथिया रे
है ज़िन्दगी ज़िन्दगी लगती है साथ तेरे
आरजू आरजू लगती है साथ तेरे

ज़िन्दगी ज़िन्दगी लगती है साथ तेरे
आरजू आरजू लगती है साथ तेरे
साथिया साथिया साथिया रे
है ज़िन्दगी ज़िन्दगी लगती है साथ तेरे
आरजू आरजू लगती है साथ तेरे

साथ तेरे लगे ज़िन्दगी ज़िन्दगी
गम के भुजे लम्हों में भी
खुशियों के दीप जलाते रहो
मायूसियों में भी सदा
अपनी हँसी लुटाते रहो
रौशनी रौशनी लगती है साथ तेरे
ज़िन्दगी ज़िन्दगी लगती है साथ तेरे
हो साथिया साथिया साथिया रे
है ज़िन्दगी ज़िन्दगी लगती है साथ तेरे

साथ तेरे लगे ज़िन्दगी ज़िन्दगी
साथ तेरे लगे ज़िन्दगी ज़िन्दगी
ये वक़्त तो बदले सदा
पर तुम करना वफ़ा
दिन हो या रात तुम देना सात
न छोड़ना कभी मेरा हाथ
आशिकी आशिकी लगती है साथ तेरे
है ज़िन्दगी ज़िन्दगी लगती है साथ तेरे
साथिया साथिया साथिया रे
है ज़िन्दगी ज़िन्दगी लगती है साथ तेरे
आरजू आरजू लगती है साथ तेरे
ज़िन्दगी ज़िन्दगी लगती है साथ तेरे
ज़िन्दगी ज़िन्दगी लगती है साथ तेरे.