लुट गया दिन-रात का आराम क्यूँ - The Indic Lyrics Database

लुट गया दिन-रात का आराम क्यूँ

गीतकार - कमर जलालाबादी | गायक - मुकेश | संगीत - कृष्ण दयाल | फ़िल्म - लेख | वर्ष - 1949

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माटी का बुत भा गया

माटी का बुत भा गया -2
दिल ही तो है आ गया -2
ओ जी
मु : दिल को ये क्या हो गया -2
बस में जो था खो गया -2
ओ हो जी

मु : एक दिल तेरा एक मेरा दोनों मिल जायें -2
सु : धीरे-धीरे बोल
धीरे-धीरे बोल कहीं जग की आँख में न आयें
नज़रों में जो आ गया -2
सम्भले ना सम्भला गया -2
ओ जी

सु : दो दिन अब मोरा जिया नाही लागे कित जाऊँ -2
मु : गोरी तोहे पलकों की इस डार पे मैं नौम दिखाऊँ -2
सु : चोट वो दिल खा गया -2
सम्भले ना सम्भला गया -2
ओ जी