ग़म इस क़दर बढ़े - The Indic Lyrics Database

ग़म इस क़दर बढ़े

गीतकार - साहिर | गायक - रफी, पुरुष आवाज, महिला आवाज | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - प्यासा | वर्ष - 1957

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ग़म इस क़दर बढ़े
के मैं घबरा के पी गया
इस दिल की बेबसी पे
तरस खा के पी गया

ठुकरा रहा था

अच्छा तो ये शायर भी हैं


शायर
अरे तुम देखती नहीं उसकी कोई
पाँच टन नज़्में उस के सर के पीछे पड़ी हैं

मुझको
बड़ी देर से जहाँ

ठुकरा रहा था मुझको
बड़ी देर से जहाँ
( मैं आज सब जहान को
ठुकरा के पी गया )-2$