मोहब्बत से देखा कफा हो गे हैं - The Indic Lyrics Database

मोहब्बत से देखा कफा हो गे हैं

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - रोशन | फ़िल्म - भीगी रात | वर्ष - 1965

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मोहब्बत से देखा ख़फ़ा हो गये हैं
हसीं आजकल के ख़ुदा हो गये हैं
मोहब्बत से देखा ख़फ़ा हो गये हैंअदाओं में थी सादगी अबसे पहले
हो ओ ओ अदाओं में थी सादगी अबसे पहले
वल्लाह
कहाँ रंग थे ये सुनहरे रुपहले
नज़र मिलते ही
नज़र मिलते ही क्या से क्या हो गये हैं
हसीं आजकल के ख़ुदा हो गये हैं
मोहब्बत से देखा ख़फ़ा हो गये हैंकिसी मोड़ से बन के सूरज निकलना
हो ओ ओ किसी मोड़ से बन के सूरज निकलना
तौबा
कहीं धूप में चाँदनी बन के चलना
जिधर देखो जलवा
जिधर देखो जलवा नुमाँ हो गये हैं
हसीं आजकल के ख़ुदा हो गये हैं
मोहब्बत से देखा ख़फ़ा हो गये हैंयहाँ तो लगा दिल पे इक ज़ख़्म गहरा
हो ओ ओ यहाँ तो लगा दिल पे इक ज़ख़्म गहरा
हाय
वहाँ सिर्फ़ उनका ये अंदाज़ ठहरा
ख़ता करके भी
ख़ता करके भी बेख़ता हो गये हैं
हसीं आजकल के ख़ुदा हो गये हैं
मोहब्बत से देखा ख़फ़ा हो गये हैं