बस्ती बस्ती परबत परबत गाता जाए बंजारा - The Indic Lyrics Database

बस्ती बस्ती परबत परबत गाता जाए बंजारा

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - रेलवे प्लेटफ़ार्म | वर्ष - 1955

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बस्ती बस्ती परबत परबत गाता जाए बंजारा
लेकर दिल का एकतारा
पल दो पल का साथ हमारा पल दो पल की यारी
आज रुके तो कल करनी है चलने की तैयारी
कदम कदम पर होनी बैठी अपना जाल बिछाए
इस जीवन की राह में जाने कौन कहाँ रह जाए
धन दौलत के पीछे क्यों है ये दुनिया दीवानी
यहाँ की दौलत यहाँ रहेगी साथ नहीं ये जानी
सोने चाँदी में तुलता हो जहाँ दिलों का प्यार
आाँसू भी बेकार वहाँ पर आहें भी बेकार
दुनिया के बाज़ार में आखिर चाहत भी ब्योपार बनी
तेरे दिल से उनके दिल तक चाँदी की दीवार बनी
हम जैसों के भाग में लिखा चाहत का वरदान नहीं
जिसने हमको जनम दिया वो पत्थर है भगवान नहीं