अल्लाह भी है मल्लाह भी हैं - The Indic Lyrics Database

अल्लाह भी है मल्लाह भी हैं

गीतकार - कैफ भोपाली | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - मान | वर्ष - 1954

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अल्लाह भी है मल्लाह भी है -२
कश्ती है की डूबी जाती है
अल्लाह भी है मल्लाह भी हैहम डूब तो जाएंगे लेकिन
दोनों ही पे तोहमत आती है
अल्लाह भी है मल्लाह भी हैइक शमा घिरी है आँधी में
बुझती भी नही जलती भी नही
शमशीर-ए-मोहब्बत क्या कहिये
रुकती भी नही चलती भी नही
मजबूर मोहब्बत रेह रेह कर
हर साँस ठोकर खाती है
अल्लाह भी है मल्लाह भी हैएक ख्वाब नज़र सा आया था
कुछ देख लिया कुछ टूट गया
एक तीर जिगर पर खाया था
कुछ डूब गया कुछ टूट गया -२
क्या मौत की आमद आमद है -२
क्युं नींद सी आयी जाती है
अल्लाह भी है मल्लाह भी है