एक दिन हातिम-ए-ताइ से किसीने पूछा - The Indic Lyrics Database

एक दिन हातिम-ए-ताइ से किसीने पूछा

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - तलत महमूद, बलबीर, सहगान | संगीत - ए आर कुरैशी | फ़िल्म - हातिमताई की बेटी | वर्ष - 1955

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एक दिन हातिम-ए-ताइ से किसीने पूछा
क्यूँ मुसीबत में गिरफ़्तार तू रहता है सदा
ब.:
दूसरों के लिए क्यूँ फिरता है मारा मारा
बोले कुछ और नहीं जानता हूँ इसके सिवा
त.:
जब यहाँ से जाऊँगा मैं और क्या ले जाऊँगा
को.:
जब यहाँ से जाऊँगा मैं और क्या ले जाऊँगा
त.:
एक नेकी इक भलाई इक दुआ ले जाऊँगा
को.:
जब यहाँ से जाऊँगा मैं और क्या ले जाऊँगा

त.:
चार दिन की ज़िंदगानी और दुनिया चन्द रोज़
चार दिन की ये सरा है जिसमें रहना चन्द रोज़
ब.:
क्यूँ न कर जाऊँ जहाँ में नाम अपना चन्द रोज़
को.:
क्यूँ न कर जाऊँ जहाँ में नाम अपना चन्द रोज़
त.:
एक अपना नाम या अपना पता ले जाऊँगा
को.:
जब यहाँ से जाऊँगा मैं और क्या ले जाऊँगा
त.:
एक नेकी इक भलाई इक दुआ ले जाऊँगा
को.:
जब यहाँ से जाऊँगा मैं और क्या ले जाऊँगा

ब.:
मौत के तूफ़ान में इंसान जब बह जाएगा
हीरा मोती सोना चाँदी सब यहीं रह जाएगा
त.:
जाते जाते जाने वाला बस यही कह जाएगा
को.:
जाते जाते जाने वाला बस यही कह जाएगा
त.:
मैं यहाँ लाया था क्या और साथ क्या ले जाऊँगा
को.:
जब यहाँ से जाऊँगा मैं और क्या ले जाऊँगा
त.:
एक नेकी इक भलाई इक दुआ ले जाऊँगा
को.:
जब यहाँ से जाऊँगा मैं और क्या ले जाऊँगा

त.:
ख़ाक का पुतला हूँ मैं और ख़ाक में मिल जाऊँगा
ब.:
बीज जैसे बोऊँगा वैसे ही फल मैं पाऊँगा
त.:
अब नहीं सोचा तो मरते दम बहुत पछताऊँगा
को.:
अब नहीं सोचा तो मरते दम बहुत पछताऊँगा
त.:
दामन-ए-हस्ती गुनाहों से भरा ले जाऊँगा

को.:
जब यहाँ से जाऊँगा मैं और क्या ले जाऊँगा
त.:
एक नेकी इक भलाई इक दुआ ले जाऊँगा
को.:
जब यहाँ से जाऊँगा मैं और क्या ले जाऊँगा
त., ब., को.:
जब यहाँ से जाऊँगा मैं और क्या ले जाऊँगा$