उधार है हुस्न का जलावा तेरी मराज़ी है जहाँ - The Indic Lyrics Database

उधार है हुस्न का जलावा तेरी मराज़ी है जहाँ

गीतकार - इन्दीवर | गायक - आशा भोंसले, तलत महमूद | संगीत - वसंत प्रभु | फ़िल्म - घरबार | वर्ष - 1953

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prelude
त:उधर है हुस्न क जलवा इधर है इश्क़ जवाँआ:ये बहारों का समाँ ये मुहब्बत का जहाँआ: तेरी मरज़ी है जहाँ मुझे ले चल तू वहाँ
छोड़ सकती हूँ मुहब्बत के लिये दोनों जहाँत: तेरी आँखों में घर अपना बसा लिया मैंने
तुझे पाया तो ज़माने को पा लिया मैंने
आ: तुझे पाया तो ज़माने को पा लिया मैंने
त: तुझे पाया तो ज़माने को पा लिया मैंने
आ: मेरे माथे का है टीका तेरे क़दमों का निशाँ
त: ये बहारों का समाँ ये मुहब्बत का जहाँआ: तेरी मरज़ी है जहाँ मुझे ले चल तू वहाँ
छोड़ सकती हूँ मुहब्बत के लिये दोनों जहाँआ:घर में जो रहता था मेहमान बन गया दिल का
रोशनी आँखों की अरमान बन गया दिल का
त:रोशनी आँखों की अरमान बन गया दिल का
आ:रोशनी आँखों की अरमान बन गया दिल का
त:ज़िन्दगी भी है हसीं और तमन्ना भी है जवाँआ: तेरी मरज़ी है जहाँ मुझे ले चल तू वहाँ
त: ये बहारों का समां ये मुह्बात का जहाँ
दो: नहीं मालूम के दिल को लिये जाता है कहाँ
नहीं मालूम के दिल को लिये जाता है कहाँ