झिलमिल तारों की महबूब की मेहंदी हैंथन में - The Indic Lyrics Database

झिलमिल तारों की महबूब की मेहंदी हैंथन में

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - लता मंगेशकर, किशोर कुमार | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - प्रेम कहानी | वर्ष - 1975

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तारों की बारातों में
भीगी भीगी बरसातों में
सोई सोई जागी जागी खोयी खोयी
चांदनी रातों में रातों में

रातों में हो रातों में
रातों में हो रातों में
फिर नींद कहाँ आती है
फिर नींद कहाँ आती है
जो लग जाती है महबूब की
मेहंदी हाथों में
ओ ओ ओ रातों में रातों में
फिर नींद कहाँ आती है
जो लग जाती है महबूब की
मेहंदी हाथों में
हो रातों में

जिनमें खिली हम
बन के कलियाँ
यह बाबुल की गालिया
यह बाबुल की गालिया
छोडके इनको भुलेगा
दिल कैसे यह रंग रलिया
यह गालिया जो याद आती है
बरस जाती है यह
आँखें बरसातों में
ओ ओ ओ ओ रातों में
ओ ओ ओ ओ हो हो हो ओ ओ ओ ओ


तुमको मुबारक दिन यह
सुहाना हमको भूल न जाना
हमको भूल न जाना
सुन शादी के बाद
सहेली दिल का हाल सुनाना
बतलाना कटी कैसे
रातें हुयी हाय
बातें क्या पहली
मुलाकातों में
ो रातों में

सारे रिश्ते सच्चे
झुठे इक न इक दिन टूटे
पर इन् हाथों से मेहंदी
का रंग कभी न छूटे
क्या बात है अल्लाह दुहायी
नजर भर आयी क्यों
तेरी बातों बातों में
ओ ओ ओ ओ रातों में फिर
नींद कहाँ आती है
जो लग जाती है महबूब की
मेहंदी हाथों में
हो रातों में
मेहबूब की मेहंदी हाथों
में हो ओ ओ रातों में
मेहबूब की मेहंदी हाथों
में हो ओ ओ रातों में
मेहबूब की मेहंदी हाथों में
मेहबूब की मेहंदी हाथों में.