कहते डरती हो, दिल में मरती हो - The Indic Lyrics Database

कहते डरती हो, दिल में मरती हो

गीतकार - साहिर लुधियानवी | गायक - लता मंगेशकर - किशोर कुमार | संगीत - खय्याम | फ़िल्म - त्रिशूल | वर्ष - 1978

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आज हम इश्क़ का इज़हार करें तो क्या हो?
जान पहचान से इन्कार करें तो क्या हो?
भरी महफ़िल में तुम्हें प्यार करें तो क्या हो?
कोशिशें आपकी बेकार करें तो क्या हो?
कहते डरती हो, दिल में मरती हो
जान-ए-मन तुम कमाल करती हो
आँखों आँखों में मस्कुराती हो
बातों बातों में दिल लुभाती हो
नर्म साँसों की गर्म लहरों से
दिल के तारों को गुदगुदाती हो
इन सब बातों का मतलब पूछें तो
रंग चेहरे का लाल करती हो
जान-ए-मन तुम कमाल करती हो
चुप भी रहिये ये क्या क़यामत है
आपकी भी अजीब आदत है
इतना हंगामा किसलिए आख़िर
प्यार है या कोई मुसीबत है
जब भी मिलते हो जाने तुम क्या क्या
उल्टे सीधे सवाल करते है
जान-ए-मन तुम कमाल करते हो
मस्तियाँ सी फ़ज़ा पे छाई हैं
वादियाँ रंग में नहाई हैं
नर्म सब्ज़ पे शोख़ फूलों ने
मख़मली चादरें बिछाई हैं
छोड़ो शर्माना ऐसे मौसम में
तबियत क्यों निढाल करती हो
जान-ए-मन तुम कमाल करती हो
जब भी मिलते हो जाने तुम क्या क्या
उल्टे सीधे सवाल करते है
जान-ए-मन तुम कमाल करते हो