जगत भर की रोशनी के लिए सूरज रे तू जले रहना - The Indic Lyrics Database

जगत भर की रोशनी के लिए सूरज रे तू जले रहना

गीतकार - प्रदीप | गायक - हेमंत कुमार | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - हरिश्चंद्र तारामती | वर्ष - 1963

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जगत भर की रोशनी के लिये
करोड़ों की ज़िंदगी के लिये
सूरज रे जलते रहना
सूरज रे जलते रहना ...जगत कल्याण की खातिर तू जन्मा है
तू जग के वास्ते हर दुःख उठा रे
भले ही अंग तेरा भस्म हो जाये
तू जल जल के यहँ किरणें लुटा रेलिखा है ये ही तेरे भाग में
कि तेरा जीवन रहे आग में
सूरज रे ...करोड़ों लोग पृथ्वी के भटकते हैं
करोड़ों आँगनों में है अँधेरा
अरे जब तक न हो घर घर में उजियाला
समझ ले अधूरा काम है तेराजगत उद्धार में अभी देर है
अभी तो दुनियाँ मैं अन्धेर है
सूरज रे ...