लमहोन की जागीर लुटा कर बैठे हैं - The Indic Lyrics Database

लमहोन की जागीर लुटा कर बैठे हैं

गीतकार - फरहत शहजादी | गायक - गुलाम अली | संगीत - रफीक हुसैन | फ़िल्म - दिल्लगी (गैर-फिल्म) | वर्ष - 1993

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लमहों की जागीर लुटा कर बैठे हैं
हम घर की दहलीज़ पे आ कर बैठे हैंलिखने को उनवान कहाँ से लायें अब
काग़ज़ से इक नाम मिटा कर बैठे हैंहो पाये तो हँस कर दो पल बात करो
हम परदेसी दूर से आ कर बैठे हैंउट्ठेंगे जब दिल तेरा भर जायेगा
ख़ुद को तेरा खेल बना कर बैठे हैंजब चाहो गुल श्म्मा कर देना 'शहज़ाद'
हम अंदर का दीप जला कर बैठे हैं