रौशनी अपनि उमंगों की लुता कर चल दीये - The Indic Lyrics Database

रौशनी अपनि उमंगों की लुता कर चल दीये

गीतकार - ज़िया सरहदी | गायक - नूरजहां | संगीत - के दत्ता | फ़िल्म - नादान | वर्ष - 1943

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रौशनी अपनी उमंगों की लुटा कर चल दिये-२
अपनी क़िस्मत के दिये हम ख़ुद बुझा कर चल दिये-२
रौशनी अपनी उमंगों की लुटा कर चल दियेजिनसे मिलने की दुआ करते रहे हम उम्र भर
जब वो पहुँचे हम नज़र अपनी झुका कर चल दिये
रौशनी अपनी उमंगों की लुटा कर चल दियेवो तेरी क़िस्मत से बन जाता है दुश्मन तेरा दोस्त
आऽऽऽऽ
वो तेरी क़िस्मत से बन जाता है दुशम्न तेरा दोस्त
हम यहाँ हर दोस्त को दुश्मन बना कर चल दिये
देखने और सुनने वालों को पसंद आए ना आए-२
जो किसी दिल की कहानी हम सुना कर चल दिये-२
रौशनी अपनी उमंगों की लुटा कर चल दिये