परबातों पे बादलों की ज़ुल्फ़ खुल गई और हम तुम - The Indic Lyrics Database

परबातों पे बादलों की ज़ुल्फ़ खुल गई और हम तुम

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - कुमार शानू, अलका याज्ञनिक | संगीत - अनु मलिक | फ़िल्म - वजूद | वर्ष - 1998

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परबतों पे बादलों की ज़ुल्फ़ खुल गई
ओस जगमगाई शाख शाख धुल गई
जागे नज़ारे जागी बहारें जागे ज़मीं आसमां
और हम तुम और हम तुम और हम तुमठंडी हवाएं उजली फ़िज़ाएं महका हुआ ये समां
और हम तुम
गाता है मौसम गाते हैं पंछी गाती हैं ये वादियां
और हम तुम
फूल की कोई किरण जो चूमने लगी
ज़िंदगी बहार बन के झूमने लगी
राहों में रंगों और खुश्बुओं के निकले हसीं कारवां
और हम तुम ...हो गई है रेशमी ये नर्म रोशनी
साँस में घुला हुआ है गीत सा कोई
खोई दिशाएं खोई हैं राहें खोए हैं सारे निशां
और हम तुम ...