रात को चुपके से मैं चाहुं सपनों में - The Indic Lyrics Database

रात को चुपके से मैं चाहुं सपनों में

गीतकार - फ़ैज़ अनवरी | गायक - आशा भोंसले | संगीत - मिलिंद सागर | फ़िल्म - ख्वाहिश | वर्ष - 2003

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रात को चुपके से आता है इक फ़रिश्ता
कुछ ख़ुशियों के लम्हे लाता है इक फ़रिश्ता
कहता है सपनों के आग़ोश में खो जाओ
तुम भूल के ग़म सारे चुपके से सो जाओमैं मूँद के पलकों को जाने कब सो जाती हूँ
अनजानी नगरी में कहीं गुम हो जाती हूँमैं चाहूँ सपनों में बस साथ तुम्हारा हो -२
( इन मेरे हाथों में ) -२ हाथ तुम्हारा हो
मैं चाहूँ सपनों में बस साथ तुम्हारा होगीतों की रिमझिम में चाहत के मौसम में
तुम हमसे मिलते हो हम तुमसे मिलते हैं
दिन-रात बदलते हैं हालात बदलते हैं
हर इक पल हर इक लम्हा हम संग-संग चलते हैं
फिर सुबह होती है और टूटते हैं सपने
ना जाने ऐसे क्यों रूठते हैं सपने
तुम तनहा रहते हो मैं तनहा रहती हूँ
एक बार नहीं सौ बार मैं फिर भी कहती हूँ
मैं चाहूँ सपनों में बस साथ तुम्हारा होअनजानी राहों में जीवन की बाँहों में
कभी सुख भी मिलते हैं कभी दुख भी मिलते हैं
कल किसने देखा है कल किसने जाना है
तक़दीर के ये अफ़साने हम सबको छलते हैं
कभी ख़्वाहिश इस दिल की यहाँ पूरी होती है
कभी ख़्वाहिश इस दिल की दिल में ही रहती है
पल-पल ये सफ़र लेकिन चलता ही रहता है
हर साँस में एक रंग नया भरता ही रहता है
मैं चाहूँ सपनों में बस साथ तुम्हारा हो -२
( इन मेरे हाथों में ) -२ हाथ तुम्हारा हो
मैं चाहूँ सपनों में बस साथ तुम्हारा हो
मैं चाहूँ सपनों में