यादें बनी पराछाइयां - The Indic Lyrics Database

यादें बनी पराछाइयां

गीतकार - समीर | गायक - कुमार शानू, अलका याज्ञनिक | संगीत - जतिन, ललित | फ़िल्म - सोच | वर्ष - 2002

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कुमार:
(यादें बनीं परछाईयाँ
चारों तरफ़ हैं तन्हाईयां सनम) -२
आग में दबा जैसे धुआँ
है यही हमारी दास्ताँअल्का:
यादें बनीं परछाईयाँ
चारों तरफ़ हैं तन्हाईयां सनम
आग में दबा जैसे धुआँ
है यही हमारी दास्ताँकुमार:
यादें बनीं परछाईयाँकुमार:
क्या करें हम भला ओ बेवजह सी लगती ज़िंदगीअल्का:
तुम वजह ढूँढ लो ज़िंदगी में आएगी खुशीकुमार:
कह रही हैं क्या खामोशियाँअल्का:
दूरियाँ रहें ना दरमियाँकुमार:
यादें बनीं परछाईयाँकुमार:
जो ख़ुदा हो ख़फ़ा हाँ आदमी करे तो क्या करेअल्का:
क्या तुम्हें है पता वक़्त सारे ज़ख्मों को भरेकुमार:
जल गया हमारा आशियाँअल्का:
हम नया बसाएंगे जहाँकुमार:
यादें बनीं परछाईयाँ
चारों तरफ़ हैं तन्हाईयां सनमअल्का:
यादें बनीं परछाईयाँ
चारों तरफ़ हैं तन्हाईयां सनमकुमार:
आग में दबा जैसे धुआँ
है यही हमारी दास्ताँअल्का:
आग में दबा जैसे धुआँ
है यही हमारी दास्ताँ