हर घड़ी बदल रही है रूप जिंदगी कल हो ना हो - The Indic Lyrics Database

हर घड़ी बदल रही है रूप जिंदगी कल हो ना हो

गीतकार - | गायक - | संगीत - | फ़िल्म - कल हो ना हो | वर्ष - 2004

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हर घड़ी बदल रही है रूप ज़िंदगी
छाँव है कभी कभी है धूप ज़िंदगी
हर पल यहाँ जी भर जियो
जो है समाँ कल हो न होचाहे जो तुम्हें पूरे दिल से
मिलता है वह मुश्किल से
ऐसा जो कोई कहीं है
बस वही सबसे हसीं है
उस हाथ को तुम थाम लो
वह मेहरबाँ कल हो न होहर पल यहाँ जी भर जियो
जो है समाँ कल हो न होपलकों के ले के साये
पास कोई जो आये
लाख सम्भालो पागल दिल को
दिल धड़के ही जाये
पर सोच लो इस पल है जो
वो दास्ताँ कल हो न होहर घड़ी बदल रही है रूप ज़िंदगी
छाँव है कभी कभी है धूप ज़िंदगी
हर पल यहाँ जी भर जियो
जो है समाँ कल हो न होहर पल यहाँ जी भर जियो
जो है समाँ कल हो न होजो है समाँ कल हो न होसोनि बन्नो चन सि चमके
मथे उथे झुम्कर दमके
पल्क उथ दिय ने थुम थुम के
मैन वरि वरि जव
सोनि बन्नो चन सि चम्के
मथे उथे झुम्कर दमे
पल्क उथ दिय ने थुम थुम के
मैन वरि वरि जवतु वेख तै लै अज रज के
अप्ने सरियन नु
चेति अप्ने नहि मिल दे
ज बन्नो पवे खुशियन ते दिल दरियन तु
पवे अर्मान सब दिल दे
तु वेख तै लै अज रज के
अप्ने सरियन नु
चेति अप्ने नहि मिल दे
ज बन्नो पवे खुशियन ते दिल दरियन तु
पवे अर्मान सब दिल देतुम हो ग़्हम को चुपाये
मैं हूँ सर को झुकाये
तुम भी चुप हो
मैन भी चुप हूँ
कौन किसे समझाये
( अब दूरियाँ इतनी हैं तो
मिलना यहाँ कल हो ना हो ) -२तु वेख तै लै अज रज के
अप्ने सरियन नु
चेति अप्ने नहि मिल दे
ज बन्नो पवे खुशियन ते दिल दरियन तु
पवे अर्मान सब दिल देमङ्गलं भगवान विष्णुः मङ्गलं गरुडध्वजः
मङ्गलं पुण्डरीकाक्षः मङ्गलायतनो हरिःसच है कि दिल तो दुखा है
हमने मगर सोचा है
दिल जो है ग़म क्यों
आँख है नम क्यों
होना ही था जो है हुआ
उस बात को जाने भी दो
जिसका निशाँ कल हो ना हो
हर पल यहाँ जी भर जियो
जो है समाँ कल हो ना हो