मोहब्बत की राहो में चलना संभल के - The Indic Lyrics Database

मोहब्बत की राहो में चलना संभल के

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - उडन खटोला | वर्ष - 1955

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मोहब्बत की राहों में चलना संभल के
यहाँ जो भी आया, गया हाथ मल के
न पायी किसी ने, मोहब्बत की मंज़िल
कदम डगमगायें ज़रा दूर चल के
हमें ढूँढती हैं बहारों की दुनिया
कहाँ आ गये हम चमन से निकल के
कहीं टूट जाये न हसरत भरा दिल
न यूँ तीर फेंको निशाना बदल के