बने हो एक काक से टू दुउर क्या करीब क्या - The Indic Lyrics Database

बने हो एक काक से टू दुउर क्या करीब क्या

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - रोशन | फ़िल्म - आरती | वर्ष - 1962

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बने हो एक ख़ाक से, तो दूर क्या क़रीब क्या -(३)
लहु का रंग एक है, अमीर क्या गरीब क्या
बने हो एक ...वो ही जान वो ही तन, कहाँ तलक़ छुपाओगे -(२)
पहन के रेशमी लिबाज़, तुम बदल न जाओगे
के एक जात हैं सभी -(२)
तो बात है अजीब सी
लहु का रंग एक है ...गरीब है वो इस लिये, तुम अमीर हो गये -(२)
के एक बादशाह हुआ, तो सौ फ़कीर हो गये
खता यह है समाज की -(२)
भला बुरा नसीब क्या
लहु का रंग एक है ...जो एक हो तो क्यूँ ना फिर, दिलों का दर्द बाँट लो -(२)
लहु की प्यास बाँट लो, रुको कि दर्द बाँट लो
लगा लो सब को तुम गले (२)
हबीब क्या, रक़ीब क्या
लहु का रंग एक है ...