तरस ना जाओ कहीं मंजिल ए वफा के लिए - The Indic Lyrics Database

तरस ना जाओ कहीं मंजिल ए वफा के लिए

गीतकार - कतील शिफाई | गायक - गुलाम अली | संगीत - जय-विजय | फ़िल्म - सौगात (गैर फिल्म) | वर्ष - 1996

View in Roman बस एक ही तुम ही चुने जाओगे सज़ा के लिये
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तरस ना जाओ कहीं मंज़िल-ए-वफ़ा के लिये
किसी के प्यार न कर बैठना ख़ुदा के लियेख़ुदा से माँग के तुझको न जब तुझे पाया
उठे न हाथ मेरे फिर कभी दुआ के लियेकिसी का तोहफ़ा कभी रद नहीं किया जाता
वो दुख जो उसने दिये मैंने मुस्कुरा के लिये'क़तील' जब भी लगेगी कहीं अदालत-ए-इश्क़
बस एक ही तुम ही चुने जाओगे सज़ा के लिये